दोस्तों ,वीरवार का व्रत हिन्दू परिवारों में ५०^% लोग रखते हैं और कथा की पुस्तकों में से इसकी कथा को या तो अकेले ही या फिर परिवार के लोगों के साथ बैठकर पढ़ते और पूजा करते हैं ,पहले मैं भी वीरवार का व्रत किया करती थी और हमारे परिवार के लगभग सभी लोग साथ बैठकर इसकी कथा सुनते थे ,धीरे-धीरे वक़्त बदला समय के अभाव में अब कभी अकेले और कभी साथ में इसकी कथा का हम सभी आनंद उठाते हैं ।
दोस्तों मैं यहाँ किसी धार्मिक पुस्तक की कथा नहीं वरन जो कथा वर्षों से हमारे घर में कही जा रही उसका वर्णन करने जा रही हूँ. इस कथा को हमारे घर के एक बुजुर्ग ने प्रारम्भ किया था और आज भी इसी कथा को हम सुनते और सुनाते हैं ,तो चलिए आप सभी के सन्मुख मैं इस कथा को प्रस्तुत कर रही हूँ ---------
चने की दाल ,गुड़ ,मुनक्का ,केला ,विष्णु भगवान की प्रतिमा या फोटो और केले का पेड़ (केले का पेड़ न हो तो केले के पत्ते को विश्नी भगवान की फोटो के पास लगा लें )
बहुत पुरानी बात है एक राज्य का राजा अपने परिवार के साथ सुख समृद्धि के साथ जीवन यापन कर रहा था ,। एक समय की बात थी की वह जंगल में शिकार खेलने गया ,वापस लौटते समय उसे एक बुढ़िया मिली और वह बोली राजन "मैंने बृहस्पति का व्रत रखा और मेरी कथा सुनने वाला कोई नहीं मिल रहा है क्या आप मेरी कथा सुन लेंगे मैं भूख और प्यास से दुखी हूँ "
दोस्तों मैं यहाँ किसी धार्मिक पुस्तक की कथा नहीं वरन जो कथा वर्षों से हमारे घर में कही जा रही उसका वर्णन करने जा रही हूँ. इस कथा को हमारे घर के एक बुजुर्ग ने प्रारम्भ किया था और आज भी इसी कथा को हम सुनते और सुनाते हैं ,तो चलिए आप सभी के सन्मुख मैं इस कथा को प्रस्तुत कर रही हूँ ---------