कथा ----
प्राचीन समय में महिष्मति नगरी में महीजित नाम का राजा राज्य
करते थे । अत्यंत शांतिप्रिय धर्मात्मा तथा ज्ञानी थे परन्तु उनके कोई भी
संतान नहीं थी ,जिसके कारण राजा अत्यंत दुःख में डूबे रहते थे ।
प्रस्तुत चित्र मैंने गूगल से लिया है
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दिनांक २६ अगस्त २०१५, श्रावण मास शुक्ल पक्ष की एकादशी पुत्रदा एकादशी के नाम से की जाती है. संतान सुख की आशा रखने वालों के लिए यह एकादशी अत्यधिक फलदायी बताई गयी है ।
इस एकादशी की कथा इस प्रकार है ----
एक बार
राजा ने राज्य के समस्त मुनियों को बुलाया और संतान प्राप्ति का उपाय
पूछा ,! इस पर परम ज्ञानी ऋषि लोमेश ने बताया की अपने पूर्व जन्म में
श्रावण मास की एकादशी को प्यासी गाय को सरोवर में पानी पीने से से रोका था
और उसी गाय के श्राप से आप अभी तक निः संतान हैं।
अतः आप श्रावण मास की एकादशी का व्रत विधिपूर्वक करें तथा
रात्रि जागरण कीजिये तो संतान की प्राप्ति अवश्य होगी। तब राजा ने ऋषि की
आज्ञानुसार एकादशी का विधिपूर्वक व्रत किया,मुनियों और संत जनों को भोजन
कराकर दक्षिणा दी , और उन्हें संतान की प्राप्ति हुई।
इस दिन गुड़ का सागार लिया जाना चाहिए /