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Monday, October 31, 2016

Bhai dooj (यम द्वितीया) 1 November 2016

Bhai dooj (यम द्वितीया) November 

भाई दूज या याम द्वितीया इस वर्ष १ नवम्बर २०१६ को पड़ रही है आइये जानते है की याम द्वितीया कब और कैसे मनाई जाती है-
भाई दूज दीपावली के दूसरे दिन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनायी जाती है और इस दिन बहन अपने भाई को टीका करने के उपरांत ही खाना खाती है।

पौराणिक कथा -----

भाई दूज की पौराणिक कथा इस तरह से है ---- इसी दिन भगवान सूर्यदेव के पुत्र और यमपुरी के स्वामी यमराज अपनी बहन यमुना के द्वारा बार-बार निवेदन करने पर उसके घर आए थे और इस सुअवसर पर उनकी बहन यमुना ने भाव-विभोर होकर उनका भव्य स्वागत किया था. इस पर खुश होकर यमराज ने उन्हें वरदान दिया कि जो इस दिन यमुना में स्नान करके भाई-बहन के इस पवित्र पर्व को मनाएगा, वह मेरे भय से मुक्त हो जाएगा. इसी दिन से भाई-बहन के स्नेह को दर्शाने वाला यह त्यौहार प्रत्येक साल भाई दूज के रूप में मनाया जाने लगा. इस महापर्व को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है. भाई बहन का यह पवित्र त्यौहार ब्रज सहित पुरे भारतवर्ष में धूमधाम से मनाया जाता है.

ऐसी मान्यता है कि जो भाई आज के दिन यमुना में स्नान करके पूरी श्रद्धा से बहनों के आतिथ्य को स्वीकार करते हैं उन्हें तथा उनकी बहन को यम का भय नहीं रहता।


भाई दूज की एक कथा इस प्रकार से है ------ 

                      एक भाई -बहन प्रेम पूर्वक रहते थे और हर वर्ष भाई दूज का पर्व पूरी श्रद्धा से करते थे। बहन के विवाह के पश्चात् उसके पति ने भाई दूज के लिए उसे मायके जाने और भाई दूज करने से तो मना कर ही दिया, साथ ही अपने कार्य पर जाने से पूर्व घर के द्वार पर ताला भी लगा दिया ताकि उसका भाई आकर टीका न करा सके। इस दिन बहन अपने भाई की रक्षा के लिए घर के आंगन में चौक पूर (रंगोली रख ) कर पूजन करने के पश्चात् भाई को टीका करती हैं तो ,बहन भी चौक पूजने के बाद रोली को घोल रही थी, तभी नाली के रास्ते से एक कुत्ता आ गया उसे भागने के लिए जैसे ही उस बहन ने हाथ मारा उसके हाथ की रोली उस कुत्ते के मस्तक पर लग गयी। कार्यालय में जब उस बहन के पति ने भाई के मस्तक पर टीका देखा।  घर पहुँच कर अपनी पत्नी पर गुस्सा करने लगा और पुछा जब मैं बाहर ताला लगा कर गया था तो तुमने अपने भाई को टीका कैसे किया . 

तब उसने बताया मैं कैसे अपने भाई को टीका करती मैं तो कहीं भी गयी ही नहीं हाँ एक कुत्ता अवश्य नाली के रास्ते से अंदर आ गया था और उसे भागने के लिए मैंने जब मारा तो मेरा हाथ जरूर लग गया। तब पति को अपनी गलती का पश्चाताप हुआ और तबसे उसने अपनी पत्नी को इस पर्व को मानाने से नहीं रोका।