हो वंदना बारम्बार गुरुदेव आपके चरणों में,
फिर कोटिन- कोटिन गुहार मेरी नमस्कार आपके चरणों में।
१. प्रभु तुम्हरे आगे- पीछे को, और दाएं बाएं सकल दिशा,
सुंदर चरणों में दंडवत मेरी, गुरुदेव आपके चरणों में ।
२. तुम्ह सकल ब्रम्हांड के नायक हो, युग- युग में परमसहायक हो,
जड़- चेतन जीव चराचर सब संसार आपके चरणों में ।
३. जब -जब भक्तों पर भीर पड़ी, पापों से दुखित हुई धरती,
दुखी सुर नर मुनि जन की पहुंची जो पुकार आपके चरणों में।
४. हर युग- युग भक्तों की रक्षा करी, नर रूप का धरी नयी भक्ति,
इस दास की भी भक्ति मुख को सरकार आपके चरणों में ।