माँ की उपासना में इस अर्चना का बहुत महत्त्व है ,पूजा के पश्चात इस अर्चना का पाठ करने से पूजा में हुई त्रुटियों के लिए माँ से क्षमा के लिए प्रार्थना की जाती है ---
दयामयी भगवती करुणासागर !काली ,रमा ,गिरा तू दधिनिधि ! सुनंना आर्त पुकार ।
नहीं पाठ पूजा मैं जानूं ,नहीं अन्य उपचार ! केवल नाम आपका ध्यायूं ,जो है विपति विदार ॥
मैं क्या योग्य तपस्या कर जो ,करलूं निज उद्धार । केवल कृपा भीख तेरी ही ,है मेरा आधार ॥
पग पग का अपराधी तेरा, नख शिख भरा विकार । अगर तुम्हीं चाहो तो मेरा ,बेड़ा होवे पार ॥
दुष्टों से भक्तों को बचाने ,हेतु अनेकों बार । लिया आपने विश्वमोहिनी ,चामुंडा अवतार ॥
जिन पर कृपा आपकी होती ,धन्य वही नर -नार । उनके लिए सदा होता है ,सुखमय सब संसार ॥
माँ तेरी यह सेविका ,करती यही पुकार । अम्ब काटकर संकट सारा ,करना बेड़ा पार ॥
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