आने वाली 6 मई 2017 को मोहिनी एकादशी है ,जो की बैशाख माह के शुक्लपक्ष को होती है और इस वर्ष ये एकादशी 6 मई को पड़ रही है, एकादशी के व्रत के लिए तारीख कोई भी उसका महत्त्व नहीं तिथि का महत्त्व होता है, हिंदुस्तानी कैलेंडर में हर दिन तिथियें होती हैं पूरे महीने यदि देखा जाये तो कोई न कोई उपवास माना गया है, कोई सोमवार का व्रत रहता है रो कोई मंगलवार।
महत्त्व:-
हर एकादशी का अपना अलग महत्व है ,कहा गया है की इस एकादशी के व्रत के प्रभाव से निन्दित कर्मों से छुटकारा मिल जाता है । मोहनी एकादशी के व्रत से कहा गया है की इसको करने से मनुष्य के निन्दित कर्मों व् अन्य कर्मों से छुटकारा मिल जाता है।
कथा:-
इस दिन पुरषोत्तम राम की पूजा का विधान है ,भगवन राम की प्रतिमा को स्नानादि से शुद्ध करने के पश्चात उच्चासन पर विराजमान करने के बाद धूप ,दीप एवम मीठे फलों से पूजन किया जाना चाहिए .। रात्रि में कीर्तन करते हुए मूर्ति के समीप ही शयन करना चाहिए ,और फिर प्रातः काल में स्नानादि से निवृत होकर दान करें और फिर अन्न ग्रहण करना चाहिए । इस एकादशी का महत्तम राजा राम ने महर्षि वशिष्ठ से पूछा था ,वशिष्ठ जी ने कहा ----सरस्वती नदी के तट पर चन्द्रावती नाम की नगरी है ,उसमें धृत राजा राज्य करता था । एक धनपाल नाम का वैश्य रहता था ,बड़ा ही धर्मात्मा और विष्णु का भक्त था । उसके पांच पुत्र थे, बड़ा पुत्र महापापी था । जुआ खेलता ,मद्धपान करना नीच कर्म करने वाला था । उसके माता, पिता ने कुछ धन देकर उसे घर से निकाल दिया । आभूषणों को बेचकर कुछ दिन उसने काटे ,अंत में धनहीन हो गया और चोरी करने चला ,पुलिस ने पकड़ कर बंद कर दिया । दंड की अवधि व्यतीत हुई तो नगरी से निकाला गया , वन में पशु -पक्षियों को मारता -खाता समय व्यतीत करने लगा । एक दिन उसके हाथ शिकार न लगा ,भूखा- प्यासा कोठर मुनि के आश्रम पर आया ,हाथ जोड़कर बोला मैं आपकी शरण में हूँ ,पातकी हूँ ,कोई उपाय बताकर मेरा उद्धार करें ?मुनि बोले वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का एक व्रत करो ,अन्नत जन्मों के पाप भस्म हो जायेंगे । मुनि की शिक्षा से वेश्य कुमार ने मोहिनी एकादशी का व्रत किया । पापरहित होकर विष्णु लोक को चला गया .
महात्म्य का फल :-
इसका महात्म्य सुनने से हजार गायों के दान का फल मिलता है ।
किस प्रकार का सागर लें:-
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