दिनांक २१ सितबंर २०१७ से नवरात्री का शुभागमन हो रहा है माता रानी हमारे घर पधारे और हम सब पर अपनी कृपा दृष्टि बनाये रखें यही हम सब की कामना होती है।
हम सब तरह -तरह से माँ की प्रार्थना अर्चना करते हैं इसी श्रेणी में मैं यहाँ श्री भगवती स्त्रोत का वर्णन कर रही हूँ, इस स्त्रोत का उच्च स्वर से पाठ करना बहुत ही फलदायी होता है, इस स्त्रोत को सबसे पहले मैंने टीवी पर प्रसारित होने वाली माँ वैष्णव की आरती के दौरान सुना था और वहीँ इसे कंठस्थ भी किया।
- जय भगवती देवी नमो वरदे, जय पापविनाशिनी बहु फलदे ॥
- जय शुम्भ निशुम्भ कपाल धरे, जय प्रणमामी तु विनिशर्तिहरे ॥
- जय चन्द्र्दिवाकर नेत्र धरे, जय पावक भूशिन्वक्त्र धरे ॥
- जय भेरवदेह निलीनपरे, जय अन्धक्दैत्य विशोषकरे ॥
- जय महिष विमर्दिनी शूलकरे, जय लोक समस्त्क पाप हरे ॥
- जय देवी पितामह विष्णुनते, जय भाष्कर शक्र शिरोअवनते ॥
- जय षन्मुख सायुध ईश्नते, जय सागर गामिनी शम्भुनते ॥
- जय दुःख दरिद्र विनाश्कारे, जय पुत्र कलत्र विबुद्धिकरे ॥
- जय देवी समस्त शरीर धरे, जय नाक विदर्शिनी दुःख हरे ॥
- जय वांछित दायिनी सिद्धि वरे, जय व्याद्विनाशिनी मोक्ष करे ॥
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