यही नाम मुख में हो हरदम हमारे ,श्री कृष्ण गोविन्द मोहन मुरारे ---------
१. लिया दैत्य ने हाथ में जब कि खंजर, कहा पुत्र से है कहाँ तेरा ईश्वर ,
तो प्रहलाद ने याद किया आह भरकर,दिखायी पड़े उसको खम्बे के अंदर ,
है नरसिंघ के रूप में राम प्यारे ---श्री कृष्ण --------------
२. सरोवर में गज-गृह की थी लड़ाई ,न गजराज की शक्ति कुछ काम आयी,
कहीं से मदद उसने जब कुछ न पायी,दुखी हो के आवाज हरी को लगाई ,
गरुड़ छोड़ नंगे ही पैरों पधारे -श्री कृष्ण -----------
३. अजामिल अधम में न थी क्या बुराई,मगर आपने उसकी बिगड़ी बनायीं ,
घडी मौत की सर पे जब उसके आयी ,तो बेटे नारायण की थी रट लगाई ,
तुरत खुल गए उसको बैकुंठ द्वारे --श्री कृष्ण ----------
४. दुःशासन ने जब हाथ अपने बढ़ाये ,तो द्रव्य बिंदु थे द्रोपदी ने गिराए ,
न की देर कुछ द्वारिका से सिद्धये ,अमित रूप यूँ बनके साडी में आये ,
कि हर तार थे आपका रूप धारे -श्री कृष्ण -------------
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