शिव जी विल्व पात्र मात्र से ही प्रसन्न हो जाते है परन्तु उनकी विधिवत पूजा यदि की जाये तो शिव जी भगवान अति प्रसन्न होते है ।
कहते है जब समुद्र- मंथन हुआ और शिव जी ने हलाहल का पान किया तो उनके शरीर का ताप अचानक से बहुत अधिक बढ़ गया और इससे मुक्त करने के लिए इंद्र जी ने काफी वर्षा की जिससे उनके शरीर में ठण्ड पहुंची ,और ये माह सावन का था ,सर के बढ़ते हुए ताप को कम करने के लिए उनपर बिल्व पात्र चढ़ाये गए जिससे उन्हें शीतलता प्राप्त हुई ।
शिव जी को सोमवार अति प्रसन्न है ,इस समय बिल्व पात्र,धतूरा,कुसुम के फूल आदि आसानी से मिल जाते हैं जो की शिव जी को अत्यधिक पसंद हैं।
सावन के सोमवार के व्रत से शिव जी को प्रसन्न किया जाता है ,कुछ लोग सोलह सोमवार का व्रत भी सावन माह से उठाते हैं ।
यदि हो सके तो पूरे माह शंकर जी को बिल्व पत्र ,चीनी,चावल,तुलसी पत्र और धतूरे से पूजा की जानी चाहिए ।
संतान की सफलता ,उन्नति के लिए शिवलिंग का शहद या गन्ने के रस से अभिषेक करना चाहिए ,
यदि घर में अचानक परेशानिया आ रही हों तो रुद्राभिषेक कराने से लाभ मिलता है ,सावन में तेरस को शिव जी की विशेष पूजा से लाभ मिलता है ।
पूजन कैसे भी हो जरूरी है जितनी भी देर के लिए पूजन किया जाये पूर्ण मन से किया जाये ।
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