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Tuesday, April 11, 2017

भजन


     


                                   सखी री बांके बिहारी से लड़ गयी अँखियाँ
                                    बचाई थी बहुत लेकिन निगोड़ी लड़ गयी अँखियाँ 



१. न जाने क्या किया जादू ये तकती रह गयीं अँखियाँ -२
                 चमकती है बरछी सी कलेजे गड गयी अँखियाँ .....


२. चहुँ दिस  रस भरी चितवन मेरी आँखों में लाते हो -२
               कहो कैसे कहाँ जाऊँ ये पीछे पड़  गयी अँखियाँ  ......


३.  भले तन से निकले प्राण मगर ये छवि न निकलेगी -२
            अँधेरे मन के मंदिर मणि सी जड़ गयी अँखियाँ  ...... 

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