चले श्याम सुन्दर से मिलने को भोला
भस्म रमी अंग पड़ा, काँधे पे झोला
१. महलों में जाकर अलख को जगाया, भीतर भर थाल मोतियों का आया -२
मैया की भिक्षा ले लो तुम भोला -----
२. न तो मैं मैया भिक्षा का हूँ आसी, मोहन के दर्शन को अँखियाँ हैं प्यासी -२
दिखला दो दर्शन मगन होये चोला ---
३. मोहन के दर्शन जो भोला ने पाए, देवोँ ने नभ से हैं पुष्प गिराए -२
तुलसी कहे ये मिलन है अलबेला -----
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