Tuesday, September 20, 2016
Wednesday, September 14, 2016
भजन
दो दिन का जग में मेला सब चला चली का ठेला
१. कोई चला गया कोई जाने, कोई गठरी बाँध सिंघाने -२
कोई खड़ा तैयार अकेला- सब चला चली का मेला-----
२. कर पाप कपट छल माया, धन लाख करोड़ कमाया -
संग चले न एक अधेला - सब चला चली का मेला ----
३. सुत नार मात पिता भाई, अंत सहायक नाहीं---२
क्यों भरे पाप का थैला - सब चला चली का मेला ---
४. यह नश्वर सब संसारा, कर भजन ईस का प्यारा --
ब्रह्मानंद कहें सुन चेला - सब चला चली का मेला
१. कोई चला गया कोई जाने, कोई गठरी बाँध सिंघाने -२
कोई खड़ा तैयार अकेला- सब चला चली का मेला-----
२. कर पाप कपट छल माया, धन लाख करोड़ कमाया -
संग चले न एक अधेला - सब चला चली का मेला ----
३. सुत नार मात पिता भाई, अंत सहायक नाहीं---२
क्यों भरे पाप का थैला - सब चला चली का मेला ---
४. यह नश्वर सब संसारा, कर भजन ईस का प्यारा --
ब्रह्मानंद कहें सुन चेला - सब चला चली का मेला
भजन
दो दिन का जग में मेला सब चला चली का ठेला
१. कोई चला गया कोई जाने, कोई गठरी बाँध सिंघाने -२
कोई खड़ा तैयार अकेला- सब चला चली का मेला-----
२. कर पाप कपट छल माया, धन लाख करोड़ कमाया -
संग चले न एक अधेला - सब चला चली का मेला ----
३. सुत नार मात पिता भाई, अंत सहायक नाहीं---२
क्यों भरे पाप का थैला - सब चला चली का मेला ---
४. यह नश्वर सब संसारा, कर भजन ईस का प्यारा --
ब्रह्मानंद कहें सुन चेला - सब चला चली का मेला
१. कोई चला गया कोई जाने, कोई गठरी बाँध सिंघाने -२
कोई खड़ा तैयार अकेला- सब चला चली का मेला-----
२. कर पाप कपट छल माया, धन लाख करोड़ कमाया -
संग चले न एक अधेला - सब चला चली का मेला ----
३. सुत नार मात पिता भाई, अंत सहायक नाहीं---२
क्यों भरे पाप का थैला - सब चला चली का मेला ---
४. यह नश्वर सब संसारा, कर भजन ईस का प्यारा --
ब्रह्मानंद कहें सुन चेला - सब चला चली का मेला
Monday, September 5, 2016
भजन
ओ दुनिया वालों दमन फैला लो मेरी दुर्गे मैया चली आ रही हैं,
चली आ रही है, चली आ रही है पहाड़ों से मैया चली आ रही है।
१. दुष्टों को मारा मैया तुमने संहारा, दिया मान भक्तों को तुमने सहारा-२
भक्तों के संकट मिटाने वाली माँ अमृत बहाती चली आ रही है--
२. अंधे को नैना, कोढ़ी को काया, बाँझिन को पुत्र मैया निर्धन को माया-२
लूट लो जितना लूट ही जाये खजाना लुटाती चली आ रही है -
३.ऐ शेरा वाली तेरा सहारा, तू जननी में हूँ बालक तुम्हारा -
शेरों की सवारी लगती है प्यारी झूमती रही है ॥
Thursday, September 1, 2016
भजन
बन के लिल्हारी राधा को छलने चले, वेष उनका बनाना गजब हो गया,
जुल्म ढाती थीं जो चोटियां श्याम की, मांग सेन्दुरा भराना गजब हो गया --
१. आसमान पर सितारे लरजने लगे, चाँद बदली में मुंह को छिपाने लगा,
चांदनी रात में बेखबर बाम पर, बेनकाब उनका आना गजब हो गया ---
२. बिछड़ी जिस दम मिली थी नज़र से नज़र, जान राधा गयीं छल किया आन कर,
बहुत शर्मिंदा थीं राधिका उस घड़ी, श्याम का मुस्कुराना गजब हो गया-
३. हाथ गालों पे जिस दम धरा श्याम ने, हाथ झलककर के राधा ये कहने लगीं,
सच बता दे अरे छलिया तू कौन है, तुमसे नज़रें मिलाना गजब हो गया-
४. तेरा प्रेमी हूँ अच्छी तरह जान ले, मैं हूँ छलिया किशन मुझको पहचान ले,
तेरी खातिर मैं राधा जनाना बना, प्रेम तुमसे बढ़ाना गजब हो गया ----
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