बन के लिल्हारी राधा को छलने चले, वेष उनका बनाना गजब हो गया,
जुल्म ढाती थीं जो चोटियां श्याम की, मांग सेन्दुरा भराना गजब हो गया --
१. आसमान पर सितारे लरजने लगे, चाँद बदली में मुंह को छिपाने लगा,
चांदनी रात में बेखबर बाम पर, बेनकाब उनका आना गजब हो गया ---
२. बिछड़ी जिस दम मिली थी नज़र से नज़र, जान राधा गयीं छल किया आन कर,
बहुत शर्मिंदा थीं राधिका उस घड़ी, श्याम का मुस्कुराना गजब हो गया-
३. हाथ गालों पे जिस दम धरा श्याम ने, हाथ झलककर के राधा ये कहने लगीं,
सच बता दे अरे छलिया तू कौन है, तुमसे नज़रें मिलाना गजब हो गया-
४. तेरा प्रेमी हूँ अच्छी तरह जान ले, मैं हूँ छलिया किशन मुझको पहचान ले,
तेरी खातिर मैं राधा जनाना बना, प्रेम तुमसे बढ़ाना गजब हो गया ----
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