उत्तर भारत में इसे मकर संक्रांति या फिर खिचड़ी के नाम से मनाया जाता है ,पंजाब ,हरियाणा में इसे लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है ,दक्षिण भारत में पोंगल और असम में बिहु के नाम से इस परम पावन त्यौहार को मनाया जाता है।
उत्तर भारत में अधिकतर लोग नए चावल से खिचड़ी बनाकर सूर्य भगवान् का भोग लगाते है जिसके कारण ही इसे खिचड़ी के नाम से मनाया जाता है। इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्त्व माना गया है और स्नान के पश्चात लोग तिल और गुड़ से बनी वस्तुओं का भोग लगाकर खाते हैं। बहुत सी जगहों पर लोग पतंग उड़ाकर भी इस त्यौहार को मानते हैं ,
कहा यह जाता है कि इस दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाते हैं। कहा यह जाता है कि इस उत्तरायण में देह त्यागने वाले को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
उत्तर भारत में इस दिन गंगा स्नान का बहुत महत्त्व है ,लोग गंगा स्नान के पश्चात खिचड़ी का दान करते हैं और खिचड़ी कहते हैं ,तिल और गुड़ का भी दान किया जाता है ।
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