भजन
हमें निज धर्म चलना सिखाती सिखाती रोज रामायण ,सदा शुभ आचरण करना रामायण
१. जिन्हें संसार सागर से उतर कर पार जाना है ,
उन्हें सुख से किनारे पर लगाती रोज रामायण ,,,,हमें
२. कहीं छवि बिष्णु की बांकी ,कहीं शंकर की है झांकी
कहीं आनंद झूले पर झूलती रोज रामायण ---हमें
३. कभी वेदों के सागर में ,कभी गीता की गंगा में
कभी भक्ति सरोवर में डुबाती रोज रामायण ,,,हमें ----
४. सरल कविता के कुंजों में बना मंदिर है हिंदी का ,
पुजारी बिंदु से कविता मिलाती रोज रामायण ,हमें ------------
हमें निज धर्म चलना सिखाती सिखाती रोज रामायण ,सदा शुभ आचरण करना रामायण
१. जिन्हें संसार सागर से उतर कर पार जाना है ,
उन्हें सुख से किनारे पर लगाती रोज रामायण ,,,,हमें
२. कहीं छवि बिष्णु की बांकी ,कहीं शंकर की है झांकी
कहीं आनंद झूले पर झूलती रोज रामायण ---हमें
३. कभी वेदों के सागर में ,कभी गीता की गंगा में
कभी भक्ति सरोवर में डुबाती रोज रामायण ,,,हमें ----
४. सरल कविता के कुंजों में बना मंदिर है हिंदी का ,
पुजारी बिंदु से कविता मिलाती रोज रामायण ,हमें ------------
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