Tuesday, July 30, 2013
Saturday, July 27, 2013
bhajan
मैं पूजा करने को जाऊं ,मैं कैसे पूजूं शंकर को …
इसी से मन मेरा हटता ,मैं कैसे पूजूं शंकर को ……
२. अगर मैं फूल चढ़ाती हूँ तो वो भँवरे का झूठा है -२
इसी से मन मेरा हटता मैं कैसे पूजूं शंकर को ……
३. अगर मैं भोग लगाती हूँ तो वो चींटी का झूठा है --२
इसी से मन मेरा हटता मैं कैसे पूजूं शंकर को ……
Tuesday, July 16, 2013
sawan aur shiv pooja
सावन माह का हिन्दू धर्म में विशेष महत्त्व है । साथ ही इस माह में शिव जी की पूजा का भी विशेष विधान है । लोग इस माह में मांस -मदिरा का त्याग कर देते है ,कुछ लोग बाल भी नहीं बनवाते हैं ,और पूरे सावन में शंकर जी के मंदिर में जलाभिषेक करते हैं । इस माह में शिव -पुराण पढ़ने का विशेष महत्त्व है।
सावन में ही नहीं अपितु हर माह में शिव पूजा का फल मिलता है , मगर सावन माह शंकर जी अति प्रिय है , कहा जाता है सावन में रुद्राभिषेक करने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है । माता पार्वती ने शिव जी को पति के रूप में पाने के लिए कठिन तप किया था ।लोग कांवर ले कर जाते हैं और शिव धाम में जाकर जलाभिषेक करते हैं ।
- पूरे सावन में विल्व -पत्र चढाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है .।
- विल्व -पत्र पर राम नाम लिख कर शिव जी पर चढ़ाएं ।
- सावन में शहद या गन्ने के रस से अभिषेक का विशेष महत्त्व है .।
शिव पुराण में भगवान् शिव पर विभिन्न पुष्पों की पूजा का क्या फल मिलता है इसका विस्तृत वर्णन है --
- लाल डंडे वाले धतूरे के पुष्प चढ़ाने से उत्तम संतान की प्राप्ति होती है । .
- आयु की कामना रखने वाला यदि सावन माह में सवा लाख दूर्वा चढ़ाये तो दीर्घ आयु की प्राप्ति होती है ।
- तुलसी दल चढ़ाने वाले को मोक्ष की प्राप्ति होती है ।
- सफ़ेद और लाल आक के पुष्प भोग और मोक्ष दोनों ही प्रदान करते हैं ।
- बंधूक (दुपहरिया ) के पुष्प चढ़ाने से आभूषणों की प्राप्ति होती है ।
- चमेली के पुष्प चढ़ाने से वाहन आदि की प्राप्ति होती है ऐसा शिव पुराण में वर्णन है ।
- शमी -पत्र चढ़ाने से भी मोक्ष की प्राप्ति होती है ।
- बेल ,जूही और कनेर के पुष्प वस्त्र ,और धन-धन्य दिलाने वाले होते हैं ।
- राई के पुष्प शत्रुओं पर विजय दिलाते हैं ।
- चंपा और केवड़ा के अतिरिक्त सभी पुष्प शिव जी को प्रिय हैं ।
इन सभी पुष्पों को कम से कम सवा लाख की मात्रा में यदि चढ़ाया जाये तो अभीष्ट की प्राप्ति होती है .
- भगवान शिव को चावल के अक्षत चढाने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है ।
- किसी भी पूजा का फल तब प्राप्त होता है जब पूजा सच्चे मन और लगन से की जाये ।
Thursday, July 11, 2013
guru poornima
अषाढ़ की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है । व्यास ऋषि जिन्होंने चारों वेदों का ज्ञान दिया ,अतः उनको आदिगुरू के रूप में याद किया जाता है ।
प्राचीन समय में विद्यार्थी गुरुकुल में शिक्षा प्राप्त करने जाते थे और अपने गुरु को शक्ति अनुसार दक्षिणा देते थे ,केवल गुरु ही नहीं अपितु ,माता ,पिता बड़े भाई -बहन भी गुरु की तरह पूज्यनीय हैं अतः यदि गुरु न हों तो उन्हें पूजा जा सकता है ।
गुरु पूजा के दिन स्नानादि से निवृत होकर गुरु के लिए वस्त्र ,फल ,फूल ,माला अर्पण करना चाहिए । इस पर्व को श्रद्धा -भाव से मनाना चाहिए ।
१. महर्षि वाल्मीकि के गुरु ऋषि नारद थे जिन्होंने उन्हें उपदेश देकर सही राह पर चलाया और महर्षि वाल्मीकि ने .ज्ञान प्राप्त कर रामायण की रचना की .
२. राजा राम चन्द्र के गुरु वशिष्ठ थे ।
३. श्री कृष्ण जी के गुरु संदीपन थे ।
४. राजा जनक गुरु महर्षि अष्टावक्र थे ।
५. स्वामी विवेकानंद के गुरु श्री परमहंस थे ।
प्राचीन समय में विद्यार्थी गुरुकुल में शिक्षा प्राप्त करने जाते थे और अपने गुरु को शक्ति अनुसार दक्षिणा देते थे ,केवल गुरु ही नहीं अपितु ,माता ,पिता बड़े भाई -बहन भी गुरु की तरह पूज्यनीय हैं अतः यदि गुरु न हों तो उन्हें पूजा जा सकता है ।
गुरु पूजा के दिन स्नानादि से निवृत होकर गुरु के लिए वस्त्र ,फल ,फूल ,माला अर्पण करना चाहिए । इस पर्व को श्रद्धा -भाव से मनाना चाहिए ।
१. महर्षि वाल्मीकि के गुरु ऋषि नारद थे जिन्होंने उन्हें उपदेश देकर सही राह पर चलाया और महर्षि वाल्मीकि ने .ज्ञान प्राप्त कर रामायण की रचना की .
२. राजा राम चन्द्र के गुरु वशिष्ठ थे ।
३. श्री कृष्ण जी के गुरु संदीपन थे ।
४. राजा जनक गुरु महर्षि अष्टावक्र थे ।
५. स्वामी विवेकानंद के गुरु श्री परमहंस थे ।
Wednesday, July 10, 2013
dev shayani ekadashi
एकादशी वर्ष में २४ पड़ती हैं, परन्तु जिस वर्ष पुरषोत्तम माह पड़ता हिअ उस वर्ष एकादशी २६ पड़ती हैं और वर्ष २०१५ में पुरषोतम माह पड़ने के कारण देवशयनी एकादशी थोड़ी देर से पड़ रही है. कहा जाता है इस एकादशी के व्रत के प्रभाव से सोना दान करने से भी अधिक पुण्य मिलता है.
आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष को पड़ने वाली एकादशी को देवशयनी एकादशी कहते है, इस दिन भगवन विष्णु को शयन कराया जाता है इसीलिए इसे देवशयनी एकादशी कहते है।२०१५ में यह एकादशी दिनांक २७ दिन सोमवार को पड़ रही है ।
इसकी कथा इस प्रकार है -
श्री कृष्ण जी बोले ---हे धर्मात्मा युधिष्ठिर !अषाढ़ पक्ष की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहते हैं ,इसे हरिशयनी एकादशी भी कहते हैं । ब्रह्मा जी ने कहा आज के दिन भगवन विष्णु को शयन कराया जाता है ।
कथा -----सूर्य वंश में मान्धाता राजा अयोध्यापुरी में राज करते थे ,एक समय उसके राज्य में अकाल पड़ गया ,प्रजा दुःख और भूख से व्याकुल होकर मरने लगी ,हवनादि शुभ कर्म बंद हो गए ,। राजा दुखी होकर वन में चले गए और अंगरा ऋषि के आश्रम में पहुँच कर बोले -हे श्रेष्ठ मुनि मैं आपकी शरण में आया हूँ ,मुझे कृपया यह बताएं की मेरे किस पाप कर्मों के कारण मेरे राज्य में अकाल पड़ा है ?
मुनि बोले हे महानुभाव -आपके राज्य में एक शूद्र तपस्या कर रह है ,और शूद्र को मरने से दोष दूर हो जायेगा।
मान्धाता बोले --उस निरपराध शूद्र को मैं मार कर में पाप में नहीं पड़ना चाहता हूँ ,हे मुनिश्रेष्ठ यदि कोई और उपाय हो तो कहें ,मैं अकाश्य करूंगा ?
तब ऋषि बोले -मैं सुगम उपाय बताता हूँ ,भोग तथा मोक्ष को देने वाली देवशयनी एकादशी है । हे राजन आप इस एकादशी का विधिवत व्रत और पूजा करें इसके प्रभाव से पूरे चातुर्मास बर्षा होगी और साथ ही यह एकादशी समस्त सिद्धियों को देने वाला और उपद्रवों को शांत करने वाली भी है । इसका महात्म्य सुनने से अकाल मृत्यु का भय भी दूर हो जाता है । इस दिन तुलसी के बीज को रोपना चाहिए ,तुलसी माला से पूजा करनी चाहिए .।
आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष को पड़ने वाली एकादशी को देवशयनी एकादशी कहते है, इस दिन भगवन विष्णु को शयन कराया जाता है इसीलिए इसे देवशयनी एकादशी कहते है।२०१५ में यह एकादशी दिनांक २७ दिन सोमवार को पड़ रही है ।
इसकी कथा इस प्रकार है -
श्री कृष्ण जी बोले ---हे धर्मात्मा युधिष्ठिर !अषाढ़ पक्ष की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहते हैं ,इसे हरिशयनी एकादशी भी कहते हैं । ब्रह्मा जी ने कहा आज के दिन भगवन विष्णु को शयन कराया जाता है ।
कथा -----सूर्य वंश में मान्धाता राजा अयोध्यापुरी में राज करते थे ,एक समय उसके राज्य में अकाल पड़ गया ,प्रजा दुःख और भूख से व्याकुल होकर मरने लगी ,हवनादि शुभ कर्म बंद हो गए ,। राजा दुखी होकर वन में चले गए और अंगरा ऋषि के आश्रम में पहुँच कर बोले -हे श्रेष्ठ मुनि मैं आपकी शरण में आया हूँ ,मुझे कृपया यह बताएं की मेरे किस पाप कर्मों के कारण मेरे राज्य में अकाल पड़ा है ?
मुनि बोले हे महानुभाव -आपके राज्य में एक शूद्र तपस्या कर रह है ,और शूद्र को मरने से दोष दूर हो जायेगा।
मान्धाता बोले --उस निरपराध शूद्र को मैं मार कर में पाप में नहीं पड़ना चाहता हूँ ,हे मुनिश्रेष्ठ यदि कोई और उपाय हो तो कहें ,मैं अकाश्य करूंगा ?
तब ऋषि बोले -मैं सुगम उपाय बताता हूँ ,भोग तथा मोक्ष को देने वाली देवशयनी एकादशी है । हे राजन आप इस एकादशी का विधिवत व्रत और पूजा करें इसके प्रभाव से पूरे चातुर्मास बर्षा होगी और साथ ही यह एकादशी समस्त सिद्धियों को देने वाला और उपद्रवों को शांत करने वाली भी है । इसका महात्म्य सुनने से अकाल मृत्यु का भय भी दूर हो जाता है । इस दिन तुलसी के बीज को रोपना चाहिए ,तुलसी माला से पूजा करनी चाहिए .।
इस दिन दाख का सागार लेने का विधान है
Saturday, July 6, 2013
tulsi
तुलसी का पौधा जितना स्वाश्थ्य के लिए लाभदायी है उतना ही उसका ज्योतिष में भी महत्त्व है । तुलसी का पौधा २ रंगों का होता है ,श्यामा तुलसी और रामा तुलसी ,श्यामा तुलसी काले रंग में और रामा तुलसी हरे रंग में होती है ।
१. किसी भी शुभ कार्य के लिए जाते समय ,परीक्षा के लिए जाते समय तुलसी के पेड़ में थोडा दूध चढ़ा कर जाने से कार्य में सफलता प्राप्त होती है ।
२. शिवजी को प्रतिदिन एक तुलसी पत्र चढाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है । ऐसा शिव पुराण में लिखा है ।
३. तुलसी पत्र पर सेंदुर से राम नाम लिख कर माला बनाएं और इस माला को हनुमानजी को चढ़ाएं ,मनचाही सफलता प्राप्त होती है ।
४. प्रतिदिन पूजा के कलश में तुलसी पत्र डालें और इस जल से श्री विष्णु भगवन की पूजा करने के बाद जल को घर में छिडकने से घर के वास्तु दोष दूर होते हैं । साथ इस जल को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें ।
५ .तुलसी की मंजरी को फेंकना नहीं चाहिए ,मंजरी को बराबर मात्रा में गुड के साथ मिलाकर बच्चों को खिलने से याददाश्त बढती है ।
६. तुलसी की माला से कृष्ण उपासना की जाये तो मोक्ष की प्राप्ति होती है ।
७. जिस घर में तुलसी का वृक्ष होता है वहां वास्तु दोष न के बराबर होता है ।
१. किसी भी शुभ कार्य के लिए जाते समय ,परीक्षा के लिए जाते समय तुलसी के पेड़ में थोडा दूध चढ़ा कर जाने से कार्य में सफलता प्राप्त होती है ।
२. शिवजी को प्रतिदिन एक तुलसी पत्र चढाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है । ऐसा शिव पुराण में लिखा है ।
३. तुलसी पत्र पर सेंदुर से राम नाम लिख कर माला बनाएं और इस माला को हनुमानजी को चढ़ाएं ,मनचाही सफलता प्राप्त होती है ।
४. प्रतिदिन पूजा के कलश में तुलसी पत्र डालें और इस जल से श्री विष्णु भगवन की पूजा करने के बाद जल को घर में छिडकने से घर के वास्तु दोष दूर होते हैं । साथ इस जल को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें ।
५ .तुलसी की मंजरी को फेंकना नहीं चाहिए ,मंजरी को बराबर मात्रा में गुड के साथ मिलाकर बच्चों को खिलने से याददाश्त बढती है ।
६. तुलसी की माला से कृष्ण उपासना की जाये तो मोक्ष की प्राप्ति होती है ।
७. जिस घर में तुलसी का वृक्ष होता है वहां वास्तु दोष न के बराबर होता है ।
Tuesday, July 2, 2013
yogini ekadahi
निर्जला एकादशी के बाद पड़ने वाली एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है । यह एकादशी आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष में मनाई जाती है । इस दिन व्रत रहकर नारायण की मूर्ति को स्नान कराकर भोग लगाते हुए धूप ,दीप से पूजन किया जाता है इस व्रत को करने से पीपल या बरगद का वृक्ष काटने से लगने वाले पाप से मुक्ति मिलती है ।
कथा ----
- प्राचीन काल में अलकापुर में धन -कुबेर के यहाँ एक हेम नामक माली रहता था । वह श्री शंकर की नित्य पूजा मानसरोवर से पुष्प लाकर करता था । एक दिन वह कमोन्मत अपनी स्त्री के साथ स्वच्छंद विहार करने के कारण फूल लाना भूल गया और कुबेर के दरबार में विलम्ब होने के कारण क्रोध से कुबेर ने श्राप दे दिया, जिसके कारण वह कोढ़ी हो गया । कोढ़ी रूप में जब वह मार्कंडेय ऋषि के पास पहुँच ,तब उन्होंने योगिनी एकादशी का व्रत करने की आज्ञा दी । इस व्रत के प्रभाव से उसका कोढ़ समाप्त हो गया और वह पहले जैसा निरोगी हो कर दिव्य शरीर के साथ स्वर्ग को चला गया ।
इस दिन मिश्री का सागार लेना चाहिए ।
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