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Tuesday, July 30, 2013

bhavaarth

                                               गायत्री मन्त्र  का भावार्थ 

              ॐ भुर्व भुर्वः सः तत्स्वितु वरेण्यम ,भर्गो देवस्य धीमह धियो यो नः प्रचोदयात

ॐ -------सबकी रक्षा करने वाला ;

भू; ------जो सब जगत का आधार ,प्राण से प्रिय और स्वन्भूं हैं ;

भुर्वः ----जो सब दुखों से रहित ,जिसके संग से सब जीव दुखों से छूट जाते हैं ;

स्वः ----जो नानाविधि जगत में व्यापक होके सबको धारण करता है ;

वितु;----जो सब जगत का उत्पादक और ऐश्वर्य का दाता है ;

देवस्य -----सब सुखों का देनहारा जिसका प्राप्ति की कामना सब करते हैं ;

वरेण्यम ----जो स्वीकार करने योग्य है अतिश्रेष्ठ ;

भर्गः ---शुद्ध स्वरुप और पवित्र करने वाला चेतन ब्रह्म स्वरुप है ;

तत ----उसी परमात्मा के स्वरुप को हम लोग ;

धीमहि ---धारण करें किस प्रयोजन के लिए ;

यः -----जो सविता देव परमात्मा ;

नः ---हमारी ;

धियः ----बुद्दियों की ;

प्रचोय्द्यात ----प्रेरणा करे ,अथार्त अच्छे कर्मों की ओर प्रेरित करें ;

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