किसी भी शुभ कार्य के लिए जाते समय अगर तिथि ,और मुहूर्त का ध्यान रखा जाये तो कार्य में सफलता पाने के रास्ते आसान हो जाते हैं. यह निश्चित तो नहीं की कार्य अवश्य सफल हो लेकिन हां पूर्ण होने की संभावना बढ़ जाती है, और यदि हमारे कुछ थोड़ा बहुत कुछ करने से कार्य में सफलता मिला जाये तो ईश्वर का ध्यान करने में क्या बुराई है ,ईश्वर अगर हमारे किये गए शुभ कार्यों का तुरंत फल नहीं देते तो , उसका बुरा फल भी नहीं देते हैं। तो क्यों न ईश्वर का ध्यान कर लिया जाये। कुछ लोगों का मानना है की हमने ऐसा किया था ,मगर हमारा ये कार्य सफल नहीं हुआ या हमको सफलता नहीं मिली ,ऐसा सोचना गलत है बल्कि हमें तो ये सोचना चाहिए की यदि हमारा कार्य पूर्ण नहीं हुआ तो ईश्वर ने हमारे लिए इससे भी अच्छा कुछ सोचा होगा।
किसी भी शुभ कार्य के लिए शुभ दिन और तिथि इस तरह हैं ---
१. पंचक या गंड मूल न हो।
२. राहु काल में कोई भी शुभ कार्य आरम्भ नहीं करना चाहिए।
३. चतुर्थी ,सप्तमी ,नवमी और अमावश्या को शुभ कार्य न शुरू करें।
४,मकान बनाने के लिए या बदलने के लिए सोम और मंगल शुभ।
५. पढाई से सम्बंधित कार्यों के लिए ,परीक्षा आदि के लिए सोमवार ,वीरवार , और शुक्रवार शुभ होते हैं।
६ बाहर जाने से पहले पैर अवश्य धोने चहिये।
. और अगर फिर भी कार्य करना आवश्यक हो तो अपने इष्ट का ध्यान करें ,मीठा खाएं और बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लेकर काम के लिए निकलें।
किसी भी शुभ कार्य के लिए शुभ दिन और तिथि इस तरह हैं ---
१. पंचक या गंड मूल न हो।
२. राहु काल में कोई भी शुभ कार्य आरम्भ नहीं करना चाहिए।
३. चतुर्थी ,सप्तमी ,नवमी और अमावश्या को शुभ कार्य न शुरू करें।
४,मकान बनाने के लिए या बदलने के लिए सोम और मंगल शुभ।
५. पढाई से सम्बंधित कार्यों के लिए ,परीक्षा आदि के लिए सोमवार ,वीरवार , और शुक्रवार शुभ होते हैं।
६ बाहर जाने से पहले पैर अवश्य धोने चहिये।
. और अगर फिर भी कार्य करना आवश्यक हो तो अपने इष्ट का ध्यान करें ,मीठा खाएं और बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लेकर काम के लिए निकलें।