गजानन कर दो बेड़ा पार ,आज हम तुम्हें बुलाते हैं ।
तुम्हें मनाते हैं गजानन ,तुम्हें मानते हैं ॥-
- सबसे पहले तुम्हें मनावें ,सभा बीच में तुम्हें बुलावें । गणपति आन पधारो ,हम तो तुम्हें मनाते हैं ।।
३. उमापति शंकर के प्यारे ,तू भक्तों के काज सँवारे । बड़े-बड़े पापी तारे ,जो शरण में आते हैं ॥
४. लड्डू पेड़ा भोग लगावें ,पान सुपारी पुष्प चढ़ावें । हाथ जोड़ के करें वंदना ,शीश झुकाते हैं ॥
५. सब भक्तों ने टेर लगायी , सब ने मिलकर महिमा गाई । रिद्धि -सिद्धि संग ले आओ ,हम भोग लगते हैं ॥
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