सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी मनाई जाती है । भारत वर्ष में नाग को देवता के रूप में पूजा जाता हैं । अधिकतर गर्मियों में सांप अपने बिलों से निकलते हैं ,मगर बारिश के दिनों में बिलों में पानी भर जाने के कारण नाग बिलों से बाहर आ जाते हैं और इन्हीं दिनों में प्रत्यक्ष रूप से नागों को पूजने की प्रथा वर्षों से रही है । इसी दिन कुछ जगहों पर लड़कियां जलाशय में कपडे की गुडिया बनाकर उनकी पूजा करती है और फिर विसर्जित करने के बाद भीगे चने और पान अपने भाइयों को खिलाती है ।
इस वर्ष नाग पंचमी १ अगस्त २०१४ को पड़ रही है ।
इस वर्ष नाग पंचमी १ अगस्त २०१४ को पड़ रही है ।
कथा ----
एक ब्राह्मण के सात पुत्रवधू थीं ,उनमें से छह बहुएं तो सावन माह में तीजें ,नाग पंचमी व् राखी करने अपने-अपने मायके चली जाती थी मगर सातवीं बहू के भाई न होने के कारण वो नहीं जा पाती थी जिसकी वजह से दुखी रहती थी ।
एक वर्ष सावन माह में उसने अत्यन दुखी होकर दीवार पर शेषनाग बनाकर उनकी पूजा और प्रार्थना की ,उसकी पूजा और प्रार्थना से प्रसन्न हो नाग देवता ने ब्राह्मण का रूप रखा और उसे लेकर नाग लोक आ गए। एक दिन शेषनाग जी ने उसे एक पीतल का दीपक देकर कहा इसे लेकर चलने से अँधेरे में परेशानी नहीं होगी
एक दिन उसके हाथ से दीपक गिर जाने के कारण २ छोटे साँपों की पूँछ कट गयी अतः शेषनाग जी ने विचार करके उसे उसकी ससुराल भेज दिया ।
पुनः सावन आने पर उस वधू ने दीवार पर नाग देवता का चित्र बनाया और उनकी पूजा अर्चना करने लगी । इधर जिन नागों की पूँछ कटी थी उनको जब अपनी पूँछ कटने का कारण मालूम हुआ तो वो उस वधु से बदला लेने गए परन्तु अपनी ही पूजा होते देख वे बहुत प्रसन्न हुए और उनका क्रोध समाप्त हो गया ।
बहन स्वरूप उस वधू के हांथों से बनी खीर प्रसाद के रूप में पाया और उसे सर्प कुल से निर्भय होने का वरदान दिया । उपहार में मणियों की माला दी । उन्होंने यह भी कहा श्रावण माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी को जो भी हमें भाई रूप में पूजेगा उसकी हम रक्षा करेंगे । तभी से इस पंचमी को बड़े धूम धाम से मनाया जाता है ,जगह-जगह मेला लगता है और झूले डाले जाते हैं ।
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हमारे घर में इस दिन चने बनाये जाते है जिसे हम घुघनी भी कहते हैं,सवेरे स्नान के पश्चात सबसे पहले चने खाए जाते हैं और फिर मेहँदी लगायी जाती है । और यह शायद उत्तर-प्रदेश में अधिकतर मनाया जाता है ।
शाम के समय कपडे से गुड़िया बनाकर उसके साथ भीगे चने ,इलाइची और पान रख कर भाई के साथ जाते है चौराहे पर इसे डालकर या फिर किसी तालाब के किनारे इसे डालकर पीटा जाता है कारण आज तक समझ नहीं आया । पर आनंद बहुत आता था,यादें हमेशा से मन को गुदगुदा जाती हैं ।
आप सभी को नाग पंचमी की बहुत-बहुत शुभकामनाएं ॥
बहन स्वरूप उस वधू के हांथों से बनी खीर प्रसाद के रूप में पाया और उसे सर्प कुल से निर्भय होने का वरदान दिया । उपहार में मणियों की माला दी । उन्होंने यह भी कहा श्रावण माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी को जो भी हमें भाई रूप में पूजेगा उसकी हम रक्षा करेंगे । तभी से इस पंचमी को बड़े धूम धाम से मनाया जाता है ,जगह-जगह मेला लगता है और झूले डाले जाते हैं ।
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हमारे घर में इस दिन चने बनाये जाते है जिसे हम घुघनी भी कहते हैं,सवेरे स्नान के पश्चात सबसे पहले चने खाए जाते हैं और फिर मेहँदी लगायी जाती है । और यह शायद उत्तर-प्रदेश में अधिकतर मनाया जाता है ।
शाम के समय कपडे से गुड़िया बनाकर उसके साथ भीगे चने ,इलाइची और पान रख कर भाई के साथ जाते है चौराहे पर इसे डालकर या फिर किसी तालाब के किनारे इसे डालकर पीटा जाता है कारण आज तक समझ नहीं आया । पर आनंद बहुत आता था,यादें हमेशा से मन को गुदगुदा जाती हैं ।
आप सभी को नाग पंचमी की बहुत-बहुत शुभकामनाएं ॥
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