पूजा -पाठ हिदुस्तानी घरों की परम्परा है प्रतिदिन के व्रत -त्यौहार दिनचर्या में उसी तरह से शामिल हैं जिस तरह से भोजन। एकादशी ,तेरस ,पूर्णिमा,आदि के व्रत की परंपरा है ,कहा जाता है एकादशी के व्रत के रखने से विष्णु जी की कृपा के साथ ही मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। आने वाली २९ नवम्बर २०१३ को उत्पन्न एकादशी पड़ रही है और जिसकी कथा और पूजा इस प्रकार है --------
इस व्रत को करने से मनुष्य का जीवन शुख शांति से व्यतीत होता है ,इस दिन परोपकारिणी देवी का जन्म हुआ था और इसीलिए इस दिन पूजन करके भगवद भजन करना चाहिए।
कथा-----
सतयुग में मुर नामक दानव ने देवताओं पर विजय पाकर इंद्र को पदस्थ कर दिया ,देवता लोग अप्रसन्न होकर भगवान् शंकर के पास पहुंचे ,शिवजी के आदेश से देवता विष्णु जी के पास पहुचे। विष्णु जी ने बाणों से राक्षसों का वध तो कर दिया मगर मुर न मरा। दानव मुर किसी देवता के वरदान से अजेय था। विष्णु जी ने मुर से लड़ना छोड़कर बद्रिकाश्रम की गुफा में आराम करने चले गए। मुर ने भी उनका पीछा न छोड़ा और गुफा में जाकर उन्हें मारना चाहा ,पर उसी समय विष्णु जी के शरीर से एक सुंदर कन्या ने जन्म लिया ,जिसने मुर का वध कर दिया।
उस कन्या ने विष्णु जी को बताया -:मैं आपके अंग से उत्पन्न हुई एक शक्ति हूँ। "विष्णु जी प्रसन्न हुए और उन्होंने वरदान दिया कि तुम संसार के माया जाल में उलझे तथा मोहवश मुझे भूले हुए प्राणियों को मेरे पास लाने में सक्षम होगी और तेरी आराधना करने वाले प्राणी आजीवन सुखी रहेंगे।
क्योंकि वो कन्या एकादशी के दिन पैदा हुई थी अतः इस एकादशी का नाम उत्पन्न पड़ा ,और इस एकादशी को करने वाले प्राणी को विष्णु लोक में वास मिलता है।