तुलसा महारानी नमो -नमो,हरी की पटरानी नमो -नमो।
धन तुलसी पूर्ण तप कीन्हो ,शालिग्राम बनी पटरानी।
जाके पत्र मंजर कोमल ,श्रीपत चरण कमल लपटानी।
धूप -दीप -नवैद्य आरती, पुष्पन की वर्षा महारानी।
छपपन भोग छत्तीसों व्यंजन ,बिन तुलसी हरी एक न मानी।
सभी सखी मैया तेरो यश गावैं ,भक्ति दान दीजै महारानी।
नमो -नमो तुलसा महारानी ,नमो -नमो तुलसा महारानी। ।
इस आरती के अतिरिक्त जो आरती आजकल आरती संग्रह की पुस्तकों में हैं वो इस प्रकार है --------
जय जय तुलसी माता,
सबकी सुखदाता वर माता |सब योगों के ऊपर,
सब रोगों के ऊपर,
रज से रक्षा करके भव त्राता |
बहु पुत्री है श्यामा, सूर वल्ली है ग्राम्या,
विष्णु प्रिय जो तुमको सेवे सो नर तर जाता |
हरि के शीश विराजत त्रिभुवन से हो वंदित,
पतित जनों की तारिणि तुम हो विख्याता |
लेकर जन्म बिजन में, आई दिव्य भवन में,
मानव लोक तुम्हीं से सुख संपति पाता |
हरि को तुम अति प्यारी श्याम वर्ण सुकुमारी,
प्रेम अजब है श्री हरि का तुम से नाता |
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