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Friday, November 8, 2013

tulsi arti

कार्तिक मास में तुलसी पूजा का विशेष महत्त्व है ,पूरे माह तुलसी पूजन ,आरती ,प्रभात फेरी आदि का आयोजन मंदिरों में किया जाता है। घरों में भी तुलसी जी की पूजा की जाती है ,पूरे माह आरती पूजन के पश्चात एकादशी से कार्तिक पूर्णिमा तक विशेष प्रभात फेरियों का आयोजन किया जाता है ,और तुलसी विवाह किया जाता है।कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवोत्थान एकादशी भी कहते हैं ,कुछ लोग इस दिन और कुछ लोग पूर्णिमा के दिन विधि -विधान से तुलसी विवाह करते है।  तुलसी पूजन में तुलसी आरती की जाती है और जो आरती हम बचपन से गाते आये हैं वो इस प्रकार है -----
 


           तुलसा महारानी नमो -नमो,हरी की पटरानी नमो -नमो। 

                                            धन तुलसी पूर्ण तप कीन्हो ,शालिग्राम बनी पटरानी। 

                                            जाके पत्र मंजर कोमल ,श्रीपत चरण कमल लपटानी।

                                            धूप -दीप -नवैद्य आरती, पुष्पन की वर्षा महारानी।

                                            छपपन भोग छत्तीसों व्यंजन ,बिन तुलसी हरी एक न मानी।

                                             सभी सखी मैया तेरो यश गावैं ,भक्ति दान दीजै महारानी। 

                                                       नमो -नमो तुलसा महारानी ,नमो -नमो तुलसा महारानी। ।

इस आरती के अतिरिक्त जो आरती आजकल आरती संग्रह की पुस्तकों में हैं वो इस प्रकार है --------


                        जय जय तुलसी  माता,

सबकी सुखदाता वर माता |

सब योगों के ऊपर,
सब रोगों के ऊपर,
रज से रक्षा करके भव त्राता |

बहु पुत्री है श्यामा, सूर वल्ली है ग्राम्या,
विष्णु प्रिय जो तुमको सेवे सो नर तर जाता |

हरि के शीश विराजत त्रिभुवन से हो वंदित,
पतित जनों की तारिणि तुम हो विख्याता |

लेकर जन्म बिजन में, आई दिव्य भवन में,
मानव लोक तुम्हीं से सुख संपति पाता |

हरि को तुम अति प्यारी श्याम वर्ण सुकुमारी,
प्रेम अजब है श्री हरि का तुम से नाता |

जय जय तुलसी माता |

                   

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