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Friday, November 22, 2013

bhajan

   मुखड़ा ---

बन के लिलहरी राधा को चलने चले ,भेष उनका बनाना गजब हो गया ,जुल्म ढाती थी जो चोटियां श्याम की ,मन सेंदुरा भराना गजब हो गया। …।

अंतरा ---

            १. आसमां पर सितारे लरजने लगे ,चाँद बदली में मूहं को छुपाने लगा -----२ 

                   चांदनी रात में बेखदर बाम पर बेनकाब उनका आना  गजब हो गया  -----बन के लिलहरी ----

          २. बिछड़ी जिस दम मिली थी नज़र से नज़र ,जान राधा गयीं छल किया आनकर ----२ 

                    बहुत शर्मिंदा थीं राधिका उस घड़ी ,श्याम का मुस्कुराना गजब हो गया --- बन के लिलहरी ----

          ३. हाथ गालों पे जिस दम धारा श्याम ने ,हाथ झलकार राधा ये कहने लगीं ---२ 

                    सच बता दे अरे छलिया तू कौन है ,तुझसे नज़रें मिलाना गजब हो गया ------बन के लिलहरी----

          ४. तेरा प्रेमी हूँ अच्छी तरह जान ले ,मैं हूँ छलिया किशन मुझको पहचान ------२ 

                   तेरी खातिर मैं राधा जनाना बना ,प्रेम तुमसे बढ़ाना गजब हो गया --बन के लिलहरी  -----

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