bhajan
रामा -रामा रटते -रटते बीती रे उमरिया,रामा -रामा रटते -रटते बीती रे उमरिया,
कब आओगे रघुकुल नंदन दासी की झोपड़िया।,रामा-रामा
१. मैं शबरी भीलनी की जायी भजन भाव न जानूं रे ,भजन भाव ना जानूं रे .
राम तेरे दर्शन की खातिर वन में जीवन पालूं रे -वन में जीवन पालूं रे -
चरण कमल से निर्मल कर दो दासी की झोपड़िया ,,रामा -रामा---
२. रोज सवेरे वन में जाकर फल चुन-चुन कर लाऊंगी -फल चुन कर लाऊंगी -
अपने प्रभु के सन्मुख रखकर प्रेम से भोग लगाउंगी -प्रेम से भोग लगाउंगी ,
मीठे -मीठे बेरन की मैं भर लायी डलईया ,रामा -रामा ---
३. श्याम सलोनी मोहनी मूरत नैना बीच बसाऊंगी ,नैना बीच बसाऊंगी ,
पद पंकज की रज धर मस्तक जीवन सफल बनाउंगी ,जीवन सफल बनाउंगी ,
अब क्या प्रभु जी भूल गए हो दासी की डगरिया ,रामा -रामा --
४. नाथ तेरे दर्शन की प्यासी मैं अबला एक नारी हूँ ,मैं अबला एक नारी हूँ ,
दर्शन बिन दो नैना तड़पे ,सुनो बहुत दुखारी हूँ ,सुनो बहुत दुखारी हूँ।
हीरा रूप में दर्शन दे दो डालो एक नजरिया-- ऱामा -रामा
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