दीपावली की पूजा ,सामिग्री ,विधि
असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक तथा अंधेरों
पर उजालों की छटा बिखेरने वाली हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार दीपावली कार्तिक
मास की अमावस्या के दिन पूरे भारतवर्ष में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है.
इसे रोशनी का पर्व भी कहा जाता है. दीपावली त्यौहार हिन्दुओं के अलावा
सिख, बौध तथा जैन धर्म के लोगों द्वारा भी हर्षोल्लास पूर्वक मनाया जाता
है. यूं तो इस महापर्व के पीछे सभी धर्मों की अलग-अलग मान्यताएं हैं,
परन्तु हिन्दू धर्म ग्रन्थ में वर्णित कथाओं के अनुसार दीपावली का यह पावन
त्यौहार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के 14 वर्ष के बाद बनवास के बाद
अपने राज्य में वापस लौटने की स्मृति में मनाया जाता है. इस प्रकाशोत्सव को
सत्य की जीत व आध्यात्मिक अज्ञानता को दूर करने का प्रतीक भी माना जाता
है.
दीपावली भगवान श्री राम के अयोध्या वापसी की खुशी में मनाई जाती है। इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा का विधान है।
पूजन सामग्री -
- कलावा, रोली, सिंदूर, १ नारियल, अक्षत, लाल वस्त्र , फूल, 5 सुपारी,
लौंग, पान के पत्ते, घी, कलश, कलश हेतु आम का पल्लव, चौकी, समिधा, हवन
कुण्ड, हवन सामग्री, कमल गट्टे, पंचामृत ( दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल), फल,
बताशे, मिठाईयां, पूजा में बैठने हेतु आसन, हल्दी , अगरबत्ती, कुमकुम,
इत्र, दीपक, रूई, आरती की थाली.
विधि -------
चौकी को धोकर उसके ऊपर लाल कपडा बिछाएं इसके ऊपर गणेश एवं लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित
करें ,और जिस जगह मूर्ति स्थापित करनी हो वहां कुछ चावल रखें. इस स्थान पर क्रमश: गणेश और लक्ष्मी की
मूर्ति को रखें.
चौकी पर लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियाँ इस प्रकार रखें कि उनका मुख पूर्व या
पश्चिम में रहें. लक्ष्मीजी,गणेशजी की दाहिनी ओर रहें. पूजनकर्ता
मूर्तियों के सामने की तरफ बैठे. कलश को लक्ष्मीजी के पास चावलों पर रखें.
नारियल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि नारियल का अग्रभाग दिखाई
देता रहे व इसे कलश पर रखें. यह कलश वरुण का प्रतीक है.
घड़े या लोटे पर मोली बांधकर कलश के ऊपर आम का पल्लव रखें. कलश के अंदर
सुपारी, दूर्वा, अक्षत, मुद्रा रखें. कलश के गले में मोली लपेटें. नारियल
पर वस्त्र लपेट कर कलश पर रखें.
लक्ष्मी पूजन विधि
आप हाथ में अक्षत, पुष्प और जल ले लीजिए. कुछ द्रव्य भी ले लीजिए.
द्रव्य का अर्थ है कुछ धन. यह सब हाथ में लेकर संकसंकल्प मंत्र को बोलते
हुए संकल्प कीजिए कि मैं अमुक व्यक्ति अमुक स्थान व समय पर अमुक
देवी-देवता की पूजा करने जा रहा हूं जिससे मुझे शास्त्रोक्त फल प्राप्त
हो. सबसे पहले गणेश जी व गौरी का पूजन कीजिए
हाथ में थोड़ा-सा जल ले लीजिए और आह्वाहन व पूजन मंत्र बोलिए और पूजा
सामग्री चढ़ाइए. हाथ में अक्षत और पुष्प ले लीजिए और नवग्रह स्तोत्र
बोलिए.
घर के सभी सदस्य मिलकर हवन की विधि पूरी करें।
लक्ष्मी जी का मन्त्र है ---ॐ ह्रीं क्लीं कमले कमलालय प्रसीद प्रसीद ॐ ह्रीं क्लीं महालक्ष्मी नमः स्वाहा (इस मन्त्र का १०८ आहुति से हवन करें ,और फिर गायत्री मन्त्र का घी से आहुति देकर हवन समाप्त करें )
अंत में महालक्ष्मी जी की आरती के साथ पूजा का समापन कीजिये
जो लोग चित्रगुप्त महाराज जी की पूजा भी आज के दिन करते हैं वो अपनी पुस्तक ,पेन और बहीखाता आदि को चित्रगुप्त की मूर्ति के समक्ष रख कर अक्षत से पूजन करें।
ये पूजन विधि गृहस्थ लोगों के लिया आसान विधि है मगर जिन लोगों को विशेष पूजन करना होता हिअ उन्हें घर पर पंडित बुलाकर पूजा करनी चाहिए .
आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।
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