bhajan
राम नाम के साबुन से मन का मैल छुड़ाएगा ,निर्मल मन के दर्पण में वो राम का दर्शन पायेगा॥
१. हर प्राणी में राम बसे हैं ,पल भर तुमसे दूर नहीं -२ देख सके न जिन आँखों से उन आँखों में नूर नहीं ॥
देखेगा मन मंदिर में वो प्रेम की जोत जलायेगा -निर्मल मन -------
२. नर शरीर अनमोल है ,प्राणी हरि कृपा से पाया है -२ झूठे जग प्रपंच में पड़कर क्यों हरि को बिसराया है ॥
समय हाथ से निकल गया तो फिर धुन -धुन पछतायेगा --निर्मल मन -----
३.साधन तेरा कच्चा है जब तक प्रभु पर विशवास नहीं -२ मंजिल को पाना है क्या जब दीपक में प्रकाश नहीं ॥
राम नाम एक मन्त्र यही प्रिय साथ तुम्हारे जाना है -निर्मल मन------
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