दुर्गा पूजा के दूसरे दिन मां दुर्गा की दूसरी शक्ति स्वरूपा भगवती ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. माता ब्रह्मचारिणी का स्वरुप बहुत ही सात्विक
और भव्य है. ये श्वेत वस्त्र में लिपटी हुई कन्या रूप में हैं जिनके दाहिने
हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल रहता है. मां दुर्गा की 9 शक्ति का यह दूसरा रूप भक्तों और साधकों को अनंत फल प्रदान करने वाला है.
ब्रह्मचारिणी - तप का आचरण करने वाली - वेदस्तत्वं तपो ब्रह्म - वेद, तत्व और तप ' ब्रह्म शब्द के अर्थ है !
पौराणिक कथानुसार अपने पूर्व जन्म में ब्रह्मचारिणी मां भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए देवर्षि नारद के उपदेश से कठिन तपस्या की ,और इस तपस्या के दौरान मां ब्रह्मचारिणी ने एक हज़ार वर्ष तक केवल फल खाकर व्यतीत किए और सौ वर्ष तक केवल शाक पर निर्भर रहीं. अपने कठिन उपवास के समय मां केवल जमीन पर टूट कर गिरे बेलपत्रों को खाकर तीन हज़ार वर्ष तक भगवान शिव की अराधना करती रही और फिर कई हज़ार वर्षों तक वह निर्जल और निराहार ही व्रत करती रही, तब जाकर भगवान शिव इन्हें पति रूप में प्राप्त हुए।
इनकी पूजा - उपासना से मनुष्य में तप , त्याग , वैराग्य , सदाचार , संयम , पर उपकार की वृद्धि होती हैं ! जीवन के कठिन समय में भी विचलित नहीं होते !
ब्रह्मचारिणी - तप का आचरण करने वाली - वेदस्तत्वं तपो ब्रह्म - वेद, तत्व और तप ' ब्रह्म शब्द के अर्थ है !
पौराणिक कथानुसार अपने पूर्व जन्म में ब्रह्मचारिणी मां भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए देवर्षि नारद के उपदेश से कठिन तपस्या की ,और इस तपस्या के दौरान मां ब्रह्मचारिणी ने एक हज़ार वर्ष तक केवल फल खाकर व्यतीत किए और सौ वर्ष तक केवल शाक पर निर्भर रहीं. अपने कठिन उपवास के समय मां केवल जमीन पर टूट कर गिरे बेलपत्रों को खाकर तीन हज़ार वर्ष तक भगवान शिव की अराधना करती रही और फिर कई हज़ार वर्षों तक वह निर्जल और निराहार ही व्रत करती रही, तब जाकर भगवान शिव इन्हें पति रूप में प्राप्त हुए।
इनकी पूजा - उपासना से मनुष्य में तप , त्याग , वैराग्य , सदाचार , संयम , पर उपकार की वृद्धि होती हैं ! जीवन के कठिन समय में भी विचलित नहीं होते !
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