चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दू लवर वाहना |
कात्यायनी शुभं दद्या देवी दानव घातिनि ||
कात्यायनी शुभं दद्या देवी दानव घातिनि ||
इस मंत्र द्वारा मां के छठे रूप की आराधना की जाती है
मार्कण्डये पुराण के अनुसार जब राक्षसराज
महिषासुर का अत्याचार बढ़ गया, तब देवताओं के कार्य को सिद्ध करने के लिए
देवी मां ने महर्षि कात्यान के तपस्या से प्रसन्न होकर उनके घर पुत्री रूप
में जन्म लिया. चूँकि महर्षि कात्यान ने सर्वप्रथम अपने पुत्री रुपी
चतुर्भुजी देवी का पूजन किया, जिस कारण माता का नाम कात्यायिनी पड़ा.
मान्यता है कि यदि कोई श्रद्धा भाव से नवरात्री के छठे दिन माता कात्यायनी
की पूजा आराधना करता तो उसे आज्ञा चक्र की प्राप्ति होती है.
इनका रूप भव्य और दिव्य हैं ,स्वर्ण के समान तेज वाली मां के बायी तरफ उपर वाले हाथ में कमल पुष्प और नीचे वाले हाथ में तलवार हैं .
मां कात्यायनी की उपासना से मनुष्य सरलता पूर्वक अर्थ ,धर्म ,काम और मोक्ष चारो फलों को आसानी से प्राप्त कर लेता हैं । जो मनुष्य मन ,कर्म और वचन से मां की आराधना करता हैं उन्हे मां धन -धान्य से परिपूर्ण करती हैं और साथ ही भयमुक्त भी करती हैं ।
मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण को पति रूप में
प्राप्त करने के लिए रुक्मिणी ने इनकी ही आराधना की थी, जिस कारण मां
कात्यायनी को मन की शक्ति कहा गया है.
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