Powered By Blogger

Sunday, April 28, 2013

lakshmi stuti

          या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी रूपेण संस्थिता ,नमस्तस्यें ,नमस्तस्यें ,नमस्तस्यें नमो नमः ।
१. नमस्तेस्तु महामाये श्री पाठे सुरपूजिते  ,शंख्चाक्र्गादाहस्ते महालक्ष्मी नमोस्तुते ॥
२ . नमस्ते  गरुर्ना रूरे  कोला सुर भयंकरी  ,सर्वपापहरे देवी मलाक्ष्मी नमोस्तुते ॥
३.  सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्व्दुष्ट भयंकरी ,सर्वदुख हरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते ।।
४.सिद्धिः बुद्धिः प्रदे देवी भुक्तिमुक्ति प्रदायिनी ,मन्त्र पूते सदा देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते ॥
५. अध्यान्त्राहिते देवी आध्य्शक्ति महेश्वरी ,योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मी नमोस्तुते ॥
६. स्थूल सूक्ष्म महारोद्रे महाशक्ति महोदरे ,महापापहरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते ॥
७. पद्मासंन्स्थिते देवी परब्रम्ह स्वरूपिणी ,परमेशि जगन्नमात महालक्ष्मी नमोस्तुते ॥
८. महालक्ष्म्य षट्क  स्त्रोतं यः पठेभ्हक्ति मान्नर ,सर्वसिधिम वाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा ॥
९. श्वेताबर धरे देवी नालांकर भूषिते ,जगत्स्थिते जगन्न्मार्त महालक्ष्मी नमोस्तुते ॥
१ ० .एककाले पठेनित्यम महापाप विनाशम ,द्व्यिकालम यः पठेनित्त्यम धन्धान्न्य समन्वितः ॥
१ १ .त्रिकालं यः पठेनित्त्यम महाशत्रु विनाशनम ,महलक्ष्मीर्म वेनित्त्यम प्रसन्नाम वर्दाशुभम ॥

माँ लक्ष्मी की स्तुति प्रति दिन प्रातः काल और सांध्य वनादाना के समय पढना विशेष फलदायी है । 

No comments:

Post a Comment