हे सिंघ्वहिनी जगदम्बे तेरा ही एक सहारा है --------
- मेरी विपदाएं दूर करो ,करुणा की द्रष्टि इस ओर करो । संकट के बीच घिरा हूँ माँ आशा से तुम्हें पुकारा है .
- कुमकुम ,अक्षत और पुष्पों से नैवेध धूप और अर्चन से । नित तुम्हें रिझाया करती हूँ क्यों अब तक नहीं निहारा है .
- जब-जब मानव पर कष्ट पड़े तब-तब तुमने अवतार लिया । हे कल्याणी ! हे रुद्राणी ,इन्द्राणी रूप तुम्हारा है .
- भाव -बाधाएं हरने वाली जन-जन की बाधाएं हरती हो । मेरी भी बाधाएं हरना जग जननी नाम तुम्हारा है .
- कौमारी ,सरस्वती हो तुम ,ब्रम्हाणी तुम वैष्णवी हो ।कर शंख चक्र और पुष्प लिए लक्ष्मी भी रूप तुम्हारा है .
- मधुकैटभ सा दानव मारा और चंड मुंड को चूर किया ।हे महेश्वरी ,महामाया चामुंडा रूप तुम्हारा है .
- धूम्रलोचन को तुमने मारा ,महिषासुर तुमने संहारा है । हे सिंघ्वाहिनी !अष्टभुजी नवदुर्गा रूप रुम्हारा है .
- था शुम्भ-निशुम्भ असुर मारा और रक्तबीज का रक्त पिया । हे शिवदूती! हे गौरी माँ काली भी रूप तुम्हारा है .
- जब वैश्य -सुरथ ने तप करके अपना तन तुम्हें चढ़ाया था । दर्शन दे जीवनदान दिया ज्योतिर्मय रूप तुम्हारा है .
- तेरी शरणागत में आकर तेरी ही महिमा को गाकर ।माँ ! सप्तशती के मन्त्रों से भक्तों ने तुहें पुकारा है .
हे सिंघ्वाहिनी जगदम्बे तेरा ही एक सहारा है ---------------------
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